30 सितंबर 2010

शक्तिशाली कौन ?

ये बात आज से चार साल पहले की है , आज भी
डायरी में पढ कर एसा लगता कि उस समय शायद
किसी बुद्धीजीवी की आत्मा प्रवेश कर गयी थी..............
आप भी बुद्धीजीवी के विचारओं का आन्नंद लें


" आज मैं सोच रहा था कि नियम क्या होते हैं?
नियमों में बंधा व्यक्ति या समूह ही सफ़लता प्राप्त
कर पाता है । शायद इन्सान जो नियम बनाता
है प्रकृति उसे तोड्ने की कोशिश करती है लेकिन
जीत हमेशा शक्तिशाली की होती है। इच्छाशक्ति
यदि प्रकृति को पराजित कर सकती है ,तो कभी
या ज्यादातर, हार भी सकती है। परन्तु सफ़ल
या महान वही कहलाते हैं जो अपने नियमों पर
चलते हैं। लेकिन फ़िर भी कुछ सवाल रह जाते
हैं जैसे "
क्या नियमों का टूट्ना अथवा प्रकृति की
बाधाओं द्वारा इच्छाशक्ति का हार जाना नियमों के
बनने से जुडा होता है ?
बाधओं के आगे हार जाना अपने रास्ते चलने या
नहीं चलने के ऊपर होता है ?
यह निर्णय किसके द्वारा संचालित होता है , प्रकृति
के द्वारा अथवा अपनी इच्छाशक्ति के द्वारा ?
हम ये निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र हैं या नहीं ?

29 सितंबर 2010

जीवन चलने का नाम

सभी को सादर प्राणाम !
ब्लागों की दुनिया में आगमन कविता के साथ
आआपको पसन्द आयेगी यदि पसन्द ना भी आये तो क्रपया निराश मत कीजियेगा शा है कि क्योंकि ये ह्रदय के उदगार हैं

तेरे अगोश मैं गुजर गयी वो रात यूँ ही
तुने सोने ना दिया आखिर सोना किसे था
पाना था तुझे तेरे अह्सास के लिये
जागा था रात भर तेरे नूर को आखों में भरने के लिये
तेरी आंखे भी देखती थीं कभी मुझ्को कभी शून्य में
शायद खोजती थीं वो सब जो मैंने पा लिया था
और उसका था कभी , अहसास था तुझे भी
कि पाया था तुझको बहुत सन्घर्ष के बाद तभी तो
तेरे हाथ रेंगते थे मेरे शानों पर , बताने मुझे
कि तू मेरे साथ है , शायद इससे बेहतर तरीका ना था
जताने का कि इस गर्माहट में छुपे हुये हैं अरमान तेरे प्यार के
कुछ इस अन्दाज में चूमा था मेरी पेशनी को तूने कि
उतर गया था अन्दर तक तेरे लबों का
कह रहीं थीं तेरी आंखे मुझसे जो ज़ुबां न कह सकी थी
बता रहीं थीं कि तूने माना था फ़ैसला किस्मत का
देखतीं थीं मेरी तरफ़ ऎसे, जैसे कि देखा ना था मुझे कभी
सांसे चल रहीं थीं इस कदर मानो रोक रहीं हों किसी तूफ़ान को
दूरीयां दम तोड रहीं थीं हर पल जैसे खत्म हो जाना चाह्तीं हों
प्यार का सैलाब सा उमड आता था , तुम्हारे हर स्पर्श में
दोनो जिस्म एक जान हो जाना चाह्ते थे, जैसे कि
दोनों में एक ही जान हो, अधूरे हों एक दुजे के बिना