10 जून 2012

अंजाने रास्ते

अंजाने रास्ते पर बहुत दूर निकल आया
शायद बहुत दूर इतना कि रास्ता अब अंजान न था
अंजान था मैं बहुत दूर निकल आया था
मंजिल कहीं न थी दूर दूर तक
था तो बस एक रास्ता जो शायद अकेला न था
खोने लगा था कुछ , बहुत कुछ पीछे छूट गया था
रास्ता अब अपना सा लगने लगा था
बस चलता चला जा रहा था लेकिन क्यों पता न था
कुछ मोड भी मिले टेडे मेडे , मैं भी उनके साथ मुड गया
चलता चला गया चलता चला गया
शायद रास्ता भी बराबर चल रहा था
मंजिल कहीं न थी , कुछ मोड थे टेडे मेडे
शायद कुछ भूल रहा था पर क्या ये याद न था
रास्ता था अपना , पर अब साथ न था
था मैं अकेला खडा वहीं जहां से चला था
रास्ता अपना न था , या फ़िर मैं चला न था।