10 अक्तूबर 2010

मेरे दादा जी



मेरे आदर्श मेरे दादा जी हैं । जो कि एक सेवानिवृत पुलिस
अधिकारी हैं । मैं यहाँ उनके द्वारा रचित हास्य कविताऎं
, व्यंग कविताऎं उनके उपनाम " ब्रजेश " के अन्तर्गत
प्रस्तुत कर रहा हूँ , आशा है आप पसन्द करेंगे.............

सर्वप्रथम प्रस्तुत है उनका परिचय (वाह री ब्लाग दुनिया हम
जिनके परिचय के मोहताज़ हैं , उनका परिचय करा रहें हैं...)
उन्ही के शब्दों में.............

उत्तर प्रदेश के मथुरा नगर के चौरासी कोस की परिधी से
आच्छादित ब्रज के गाँव भगतुआ डाकखाना कोटा परगना
हाथरस जनपद महामाया नगर के एक साधारण कृषक परिवार
में स्वर्गीय श्री ज्योतिराम जाट के यँहा ३० जनवरी १९४० को
जन्म हुआ । गणेश सिंह इंटर कालेज मुरसान से सन १९५९
में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर तदुपरान्त १९६० से
उत्तर प्रदेश पुलिस में आरक्षी पद पर सेवा प्रारम्भ की तथा
वर्ष १९७४ में सब इन्सपेक्टर पद पर प्रोन्नत हुआ ।सन १९९८
में मेरठ परिक्षेत्र के उपमहानिरीक्षक के रीडर पद से सेवानिवृत
हुआ । शिक्षा ग्रहण करने में उत्सुकता के कारण वर्ष १९८६
में बी ए तथा वर्ष १९९३ में एल एल बी की परीक्षा चौधरी चरण
सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से प्राप्त उत्तीर्ण की ।
प्रारम्भ से ही साहित्य , पारिवारिकता एवं समाजिकता से
सम्बद्ध रहे । कर्तव्य ही पूजा है तथा पुलिस वर्दी एवं शासन
के सर पर ताज की मर्यादा एवं आन को सुरक्षित रखने के
निमित्त सर्वदा चिंतित रहे । जीवन अत्यंत मितव्ययी एवं
शालीनता से यापन करते हुए अनुशासन जीवन का मूलधार
रहा । वर्तमान में गाँव में रहकर धर्म कर्म में संलग्न हैं ।

बीरी सिंह "ब्रजेश"