11 अक्तूबर 2010

स्तुति


जय जगदम्बे अम्बिका,
हरायु मात क्लेश।
कलम विराजो सरस्वती
ब्रह्मा विष्णु महेश।।
ब्रजेश ह्र्दय से आस तुम्हारी करता ।
शीश झुकाऊँ चरण में, ध्यान तेरा ही धरता॥
पथवारी , व्रतवारी और सुमिरू कोटावारी ।
बुद्धि विवेक संकुचित , है शब्दों से लाचारी ॥
पवनपुत्र शक्ति दीजै , काली माँ करि रक्षा ।
अन्तृद्वंद मचा भरत में , और न लेउ परीक्षा॥

1 टिप्पणी:

ASHOK BAJAJ ने कहा…
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