06 अक्तूबर 2010

सुकून आया जैसे...........


मंजिल तक पहुँच कर लौट आया जैसे
प्यासा था कूऎ के पास जाके लौट आया जैसे
बेचैन था सदियों से तुझे पाके चैन आया जैसे
पाया था जो मोती उसे खो आया जैसे
सरफ़रोशी की तमन्ना लेकर चला था तेरे पीछे
वापस सर झुका कर लौट आया जैसे
बरसों से बहते हुए तनहा आँसुओं को
तेरे आँचल से पौंछ आया जैसे
हर पल खोया रहता था तेरे खयालों में
बेखुदी में उस बादल को तोड आया जैसे.............

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